जगन्नाथपुर मन्दिर  में सहस्त्रधारा स्नान विधि संपन्न, बीमार पड़े भगवान, 15 दिन एकांतवास में रहेंगे

राँची

रांची :  धुर्वा में 10 दिनों तक चलने वाले ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मेला 20 जून से शुरू होगा. इस मेले का समापन 29 जून को घूरती रथ यात्रा के साथ होगा. रथ यात्रा की तैयारी अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. इस यात्रा को लेकर पुलिस तथा प्रशासन भी इसकी तैयारियों में जुट गयी है.

मंदिर में सहस्त्रधारा स्नान विधि, भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी

रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में रविवार को भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की सहस्त्रधारा स्नान विधि की गयी. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को 108 घड़ों के ठंडे पानी से स्नान स्नान कराया गया. इसके बाद भगवान को बुखार आ गया.

15 दिनों तक वैद्य और निजी सेवक ही दर्शन कर सकते हैं

15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ को एकांत में एक विशेष कक्ष में रखा जाता है, जहां केवल उनके वैद्य और निजी सेवक ही उनके दर्शन कर सकते हैं. भगवान जगन्नाथ के मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे. इसके बाद 15वें दिन मंदिर के कपाट खुलेंगे और भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देंगे. फिर जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ होगा. रथ यात्रा के आरंभिक चरण में भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है, उसके बाद रथ यात्रा निकाली जाती है.

स्नान यात्रा करने के बाद बीमार पड़ जाते हैं भगवान

हर साल एक बार भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है, जिसे स्नान यात्रा भी कहते हैं. स्नान यात्रा करने के बाद 15 दिन के लिए भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं. 15 दिन के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है. यहां तक भगवान जगन्नाथ की रसोई भी बंद कर दी जाती है. भगवान को 56 भोग भी नहीं खिलाया जाता.

15 दिनों तक काढ़ा का भोग लगाया जाएगा

56 भोग की जगह भगवान को 15 दिनों तक काढ़ा का भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों का भी भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की बीमारी की जांच करने के लिए रोजाना वैद्य भी आते हैं. भगवान को काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है. साथ में शीतल लेप भी रोज लगाया जाता है.

ये है जगन्नाथपुर मंदिर रथ यात्रा कार्यक्रम

  • 19- जून को शाम 4 बजे से नेत्रदान के साथ रथ यात्रा शुरू
  • 20- जून, सुबह 5 बजे से सुलभ दर्शन
  • 20- जून, दोपहर 2 बजे से रथयात्रा के लिए सामूहिक पूजन
  • शाम 4:30 बजे रथ यात्रा की शुरुआत
  • शाम 6:30 बजे मौसी बाड़ी आगमन
  • 29- जून को घूरती रथ यात्रा के साथ कार्यक्रम का समापन

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