रांची

31 अगस्त को मनाई जाएगी श्री राधा अष्टमी, प्रेम, भक्ति और शुद्ध आत्मा की आराधना का पर्व

संजय सर्राफ बोले – राधा-कृष्ण की भक्ति हमें आत्मिक शांति और प्रेम की ओर करती है अग्रसर

रांची : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला पावन पर्व श्री राधा अष्टमी इस वर्ष 31 अगस्त, रविवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।

श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने जानकारी देते हुए कहा कि यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतम और आद्या शक्ति मानी जाने वाली श्री राधारानी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि निष्काम प्रेम, समर्पण और आत्मिक भक्ति का प्रतीक भी है।

ब्रजभूमि के बरसाना में हुआ था राधारानी का प्राकट्य

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, राधारानी का जन्म ब्रजभूमि के बरसाना गांव में हुआ था। वे भगवान श्रीकृष्ण की ह्लादिनी शक्ति मानी जाती हैं, जो आनंद और प्रेम की ऊर्जा का स्वरूप हैं। जैसे शिव के बिना शक्ति अधूरी हैं, वैसे ही कृष्ण के बिना राधा नहीं और राधा के बिना कृष्ण नहीं। इसीलिए श्रद्धालु उन्हें कृष्ण की आत्मा का अर्धांगिनी रूप मानते हैं।

पूजन, व्रत और भक्ति से मिलता है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

राधा अष्टमी के दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और राधा-कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में झांकियां, कीर्तन और भजन संध्याओं का आयोजन होता है। राधा रानी को मालपुआ और रबड़ी का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजन करने से गृह क्लेश समाप्त होता है, विवाहित जीवन सुखमय रहता है और घर में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य का वास होता है।

देश-विदेश के मंदिरों में होगा भव्य उत्सव

बरसाना, वृंदावन, मथुरा सहित देश-विदेश के श्रीकृष्ण मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन होता है। राधा रानी की मूर्ति को लाल वस्त्र पहनाकर पुष्पों से श्रृंगारित किया जाता है, और पूरे वातावरण में ‘जय राधे’ के जयकारे गूंजते हैं।

आज के युग में राधा-कृष्ण की भक्ति एक आदर्श

प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि “जब-जब इस संसार में प्रेम की बात होती है, तब-तब राधा-कृष्ण की जोड़ी को याद किया जाता है। उनके बीच का प्रेम आध्यात्मिक था — निष्कलुष और आत्मा से जुड़ा हुआ। राधा जी की भक्ति हमें सिखाती है कि ईश्वर से प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं होता। आज जब प्रेम और आस्था का स्वरूप बदल रहा है, तब यह पर्व हमें त्याग, श्रद्धा और समर्पण की महत्ता याद दिलाता है।”

भक्ति का संदेश लेकर आता है यह पर्व

श्री राधा अष्टमी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमें आत्मिक शांति, निष्काम भक्ति और सच्चे प्रेम की ओर ले जाने वाला एक पर्व है।

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