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आईआईटी-आईएसएम दीक्षांत समारोह: राष्ट्रपति मुर्मू ने नवाचार, नैतिकता और जनसेवा का दिया संदेश


रांची, 1 अगस्त: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को आईआईटी-आईएसएम धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसका विशाल मानव संसाधन है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल तकनीकी उत्कृष्टता तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसका उद्देश्य जनसेवा, नैतिकता और सामाजिक उत्थान भी होना चाहिए।

अत्याधुनिक अनुसंधान के साथ जनहित पर जोर

राष्ट्रपति ने कहा कि अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचार के साथ देश को जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक समस्याओं के स्थायी समाधान खोजने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। इसके लिए ब्राइट यंग माइंड्स को उचित मार्गदर्शन और अवसर देने की आवश्यकता है।

भारत तकनीक और नवाचार में अग्रणी

उन्होंने कहा कि तकनीक के क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है और इसमें आईआईटी संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थान केवल शिक्षा नहीं, बल्कि जनजातीय उत्थान और महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक उद्देश्यों में भी योगदान दे रहे हैं।

स्टार्टअप और पेटेंट कल्चर को बढ़ावा देने की आवश्यकता

राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें, बल्कि उसे समाज हित और राष्ट्र निर्माण में लगाएं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप और पेटेंट कल्चर को बढ़ावा देना समय की मांग है।

“केवल नवाचार ही नहीं, आपकी शिक्षा में सहानुभूति, नैतिकता और जनसेवा की भावना भी झलकनी चाहिए,” — राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा — आप जॉब क्रिएटर बनें

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि दीक्षांत अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले (Job Creators) बनें।

उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा:

“अब लाड़-प्यार और रोमांटिक आइडिया का समय नहीं है। यह समय है विकसित भारत के निर्माण में भागीदारी का।”

भारत तीसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप इकोनॉमी

शिक्षा मंत्री ने बताया कि भारत आज स्टार्टअप और इकोसिस्टम के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और जल्द ही यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।


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