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टेंडर घोटाला मामला: अभियोजन स्वीकृति बिना फंसी कार्रवाई, ईडी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

रांची, 29 जुलाई । प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड सरकार से 120 दिनों बाद भी अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इस संबंध में ईडी ने पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि राज्य सरकार की चुप्पी को “मानी हुई स्वीकृति” (Deemed Sanction) माना जाए।

ईडी ने याचिका में बताया है कि पूर्व मंत्री आलमगीर आलम, उनके ओएसडी संजीव लाल, और ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व इंजीनियर इन चीफ वीरेंद्र राम के खिलाफ अभियोजन की अनुमति राज्य सरकार से मांगी गई थी, लेकिन अब तक कोई उत्तर नहीं मिला।

ईडी ने कोर्ट को बताया कि यह मामला करोड़ों रुपये के टेंडर घोटाले से जुड़ा है, जिसमें इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप हैं।

एजेंसी ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश के अनुसार नवंबर 2024 से पहले, सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में अभियोजन की अनुमति अनिवार्य नहीं थी। लेकिन अब यह स्वीकृति आवश्यक है। कोर्ट से आग्रह किया गया है कि समयसीमा में जवाब न देने को सहमति माना जाए।

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