झारखंड में +2 स्तर की पढ़ाई बंद करने से छात्रों के सामने आईं नई चुनौतियाँ
Ranchi : झारखंड राज्य में सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में कक्षा 11वीं और 12वीं (+2) स्तर की पढ़ाई बंद करने का निर्णय राज्यभर में शिक्षा व्यवस्था को लेकर नई समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। इस आदेश का सबसे बड़ा असर इस वर्ष मैट्रिक परीक्षा पास करने वाले छात्रों पर पड़ने की संभावना है, साथ ही उन छात्रों पर भी जो वर्तमान में डिग्री कॉलेजों में 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं। यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने जा रहा है, जिससे छात्रों के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए राज्य सरकार से तुरंत कदम उठाने की अपील की है। उनका कहना है कि इस बदलाव के कारण छात्रों को दोबारा से री-एडमिशन या री-रजिस्ट्रेशन की जटिल प्रक्रियाओं से गुजरने की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे उनकी पढ़ाई में विघ्न आ सकता है। अजय राय ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि छात्रों को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े और उनकी शिक्षा की निरंतरता बनी रहे।
इसके अलावा, अजय राय ने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि मैट्रिक पास करने वाले छात्रों के नामांकन की प्रक्रिया को और अधिक सरल और व्यवस्थित बनाया जाए, ताकि छात्रों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न हो। उन्होंने सरकार से यह भी कहा कि शिक्षा के स्तर को लेकर निर्णय लेने से पहले, इंटरमीडिएट (+2) संस्थानों की संख्या और उनकी उपलब्धता का पूरा आंकलन किया जाए। यदि इन संस्थानों की पर्याप्त संख्या नहीं है, तो यह फैसला छात्रों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन का कहना है कि यह संक्रमणकाल छात्रों और अभिभावकों के लिए बहुत कठिन हो सकता है, विशेषकर तब जब उन्हें अपनी शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए नए कदम उठाने पड़ रहे हों। सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस समय छात्रों और अभिभावकों की कठिनाइयों को समझें और पारदर्शी, सुगम और प्रभावी व्यवस्थाओं को लागू करें।
छात्रों के भविष्य के लिए अहम कदम
अजय राय ने कहा कि यह समय राज्य सरकार के लिए गंभीरता से विचार करने का है, ताकि छात्रों के शैक्षिक भविष्य को सही दिशा दी जा सके। यदि सरकार समय रहते इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं करती है, तो इससे न केवल छात्रों को बल्कि पूरे राज्य को शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
इसके साथ ही, पेरेंट्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से यह भी मांग की है कि जो छात्र पहले से कॉलेजों में दाखिला ले चुके हैं, उनके लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाए ताकि वे अपने अगले शैक्षणिक कदम उठा सकें। यह निर्णय झारखंड के छात्रों के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकता है, इसलिए राज्य सरकार को इस पर पूरी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
झारखंड के शिक्षा विभाग को इस समय छात्रों की शैक्षिक यात्रा में कोई विघ्न न आने देने के लिए त्वरित और स्पष्ट कदम उठाने चाहिए, ताकि विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित और सशक्त हो सके। सरकार के समय रहते सही कदम उठाने से ही छात्रों की शिक्षा में कोई व्यवधान नहीं आएगा और वे भविष्य में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।
