निरंकारी संत समागम रांची 2025: सद्गुरु राज पिताजी का संदेश—”मानव जाति एक है, ईश्वर एक है”
रांची, 20 जुलाई — राजधानी रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथ मैदान में रविवार को निरंकारी संत समागम का भव्य आयोजन किया गया। इस आध्यात्मिक समागम में झारखंड सहित बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। आयोजन में लंगर, सेवा और अनुशासन की प्रभावशाली व्यवस्था देखी गई, जिसमें सैकड़ों वॉलंटियर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समागम की मुख्य आकर्षण रहे सद्गुरु राज पिताजी, जिन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेम और मानव एकता का संदेश देते हुए कहा:
“सद्गुरु हमें जात-पात, ऊँच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठाकर ईश्वर से मिलाने का कार्य करते हैं।”
मुख्य संदेश:
- मानव जीवन का महत्व: यह जीवन हमें 84 लाख योनियों के बाद प्राप्त होता है, इसलिए इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
- ईश्वर का बोध आवश्यक: श्रीमद्भागवत गीता की तरह आत्मा के चक्र की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि आत्मा अमर है और उसका मूल परमात्मा है।
- भक्तिमार्ग की महत्ता: मीराबाई की भक्ति का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि परम प्रेम के बिना आत्मा अधूरी है।
- भेदभाव मिटाएं: चाहे कोई राम कहे, खुदा कहे या गॉड, सबका तात्पर्य एक ही परमात्मा से है। विभिन्नताओं में एकता की भावना होनी चाहिए।
- ब्रह्मज्ञान का महत्व: ज्ञान से ही अज्ञानता और वैमनस्य मिटता है। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही व्यक्ति सत्य की ओर अग्रसर होता है।
- संतों की भूमिका: उन्होंने संतों को “मैं भाव” से रहित बताते हुए कहा कि संतों की दृष्टि में हर आत्मा एक समान होती है।
समागम का उद्देश्य:
सद्गुरु ने अंत में यही प्रार्थना की कि:
“सभी जीवों को सत्य का बोध हो, और उन्हें ईश्वर की प्राप्ति हो।”
इस समागम ने लोगों को आत्मचिंतन, आध्यात्मिक चेतना और जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर प्रेरित किया।
