624 अग्निवीरों ने ली देश सेवा की शपथ, ब्रिगेडियर ने बताया नाम, नमक और निशान का महत्व

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रामगढ़ : रामगढ़ के पंजाब रेजिमेंटल सेंटर में मंगलवार को 624 अग्निवीरों ने देश सेवा की शपथ ली. पीआरसी के किलाहारि ग्राउंड में मंगलवार को इस मौके पर पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया. इस दौरान 624 अग्निवीर शामिल हुए. 31 सप्ताह के कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण के उपरांत अग्निवीर तैयार हुए हैं. परेड में पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के कमांडेंट सह ब्रिगेडियर संजय चंद्र कंडपाल ने परेड की सलामी ली.

साथ ही प्रशिक्षण के दौरान अव्वल प्रदर्शन करने वाले 4 अग्निवीरों को सम्मानित किया गया. इस दौरान ब्रिगेडियर संजय चंद्र कंडपाल ने बताया कि पंजाब रेजीमेंटल सेंटर का वीरता से भरा हुआ गौरवशाली इतिहास रहा है. देश सेवा में रेजिमेन्ट के बहादुर जवानों ने अपना सर्वस्व बलिदान दिया है. कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण के बाद देश की आन, बान और शान की रक्षा करने के लिए अग्नि वीरों ने अंतिम पग रखा और भारतीय सेना के अभिन्न अंग बन गए. वे सभी भारत की रक्षा में अपनी जान भी न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं.

अग्निवीर रिक्रूट्स विभिन्न यूनिटों में तैनात किये जायेगे

पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के कमांडेंट सह ब्रिगेडियर संजय चंद्र कंडपाल ने अग्नि वीरों को जानदार जोशीली परेड के लिए सभी को बधाई दिया. उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में भी शानदार और जानदार जोशीली ड्रिलिंग ने यह साबित किया है कि अग्नि वीर सच में आग के गोले बनाकर तैयार हुए हैं और दुश्मन पर बरसने को तैयार हैं. ब्रिगेडियर ने कहा कि आजादी के बाद पंजाब रेजीमेंट का बेमिसाल 77 साल का शानदार आयाम रहा है. 11 युद्ध सम्मान हासिल किए हैं. महावीर चक्र, कीर्ति चक्र सहित दर्जनों शौर्य चक्र, वीर चक्र सहित कई सम्मानों से सुशोभित हैं और कई ओहदे अपने नाम पर लिखे है.

कश्मीर की घाटी से लेकर सियाचिन की ऊंचाई तक तैनात होंगे जवान

अंतिम पग का सफर तय करने के बाद अग्निवीर कश्मीर की पहाड़ियों, सियाचिन की ऊंचाइयों, अंडमान के टापू में, अरुणाचल की पहाड़ियों से लेकर रण ऑफ कच्छ तक मोर्चा संभालेंगे . हमेशा हमने जो आपको एक बात सिखाई है वह याद रखना है. सबसे बड़ा धर्म हमारे राष्ट्र का धर्म है. पिछले 31 हफ्तों का सफर काफी कठिन था, खासकर एक आम शहरी से एक सिपाही बनने का सफर. 31 सप्ताह की कड़ी मेहनत ने आपको एक हीरे की तरह तरास दिया है. हमेशा एक बात याद रखना है नाम, नमक और निशान. यह तीन शब्द केवल फौजी की जिंदगी में ही नही पर्सनल जिंदगी में भी अहमियत रखते हैं.

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