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लोक सेवा समिति की 34वीं वर्षगांठ समारोह 31 अगस्त को रांची में


रांची : शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, सद्भावना, सामाजिक विकास और मानवाधिकार के क्षेत्र में पिछले 34 वर्षों से प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय लोक सेवा समिति, झारखंड अपनी 34वीं वर्षगांठ के अवसर पर 31 अगस्त को राजधानी रांची में भव्य कार्यक्रम आयोजित करेगी।

कार्यक्रम में “युवा में बढ़ता नशा और हिंसा” विषय पर परिचर्चा, इस विषय पर आधारित “प्रेरणा” नामक स्मारिका का लोकार्पण और सम्मान समारोह का आयोजन होगा। यह आयोजन “झारखंड रत्न” दिशोम गुरु शिबू सोरेन और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह की स्मृति एवं सम्मान को समर्पित रहेगा।

समारोह में संस्था की दशकों लंबी सेवा यात्रा और देशभर में किए गए सामाजिक कार्यों का स्मरण किया जाएगा। इस अवसर पर चयन समिति द्वारा चयनित विभूतियों और संस्थानों को “झारखंड रत्न”, “विशिष्ट सेवा सम्मान” और “राष्ट्रीय महिला गौरव सम्मान” से सम्मानित किया जाएगा।

ये सम्मान उन व्यक्तियों और संस्थानों को प्रदान किए जाएंगे जिन्होंने—

  • नशामुक्ति, शांति और सद्भावना
  • समाज सेवा एवं सामुदायिक नेतृत्व
  • शिक्षा एवं युवा विकास
  • महिला सशक्तिकरण
  • साहित्य, संस्कृति संरक्षण एवं जनजातीय कल्याण
    जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है।

संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद नौशाद ने कहा—

“यह आयोजन केवल हमारी 34 वर्षों की सेवा यात्रा का उत्सव नहीं है, बल्कि उन सभी को सम्मान देने का अवसर है जिन्होंने समर्पण और निष्ठा से झारखंड व देश की प्रगति में योगदान दिया है। इस कार्यक्रम को ‘झारखंड रत्न’ दिशोम गुरु शिबू सोरेन और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह की स्मृति को समर्पित कर हम आने वाली पीढ़ियों को सेवा और कार्यत्व की प्रेरणा देना चाहते हैं।”

कार्यक्रम में राज्य मंत्री, अधिकारी, वरिष्ठ प्रबुद्ध नागरिक, राजनीतिक नेता, पत्रकार, समाजसेवी, शिक्षाविद और समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह झारखंड के लिए गर्व और एकता का प्रतीक बनेगा।

आज हुई बैठक में गुरुजी शिबू सोरेन और हरिनारायण सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई और उनके योगदान पर चर्चा की गई। बैठक में फादर टोनी, संगीता सिंह, जेबा साबुही, डॉ. आतउर रहमान, सुखेंद्र यादव, सुनील सिंह बादल, हाफिज अनस खान, डॉ. कमलेश जी, जफीर खान, शबाना टी, परवीन सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता मोहम्मद नौशाद ने की और सम्मानित होने वाले विभूतियों के नामों पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।


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